
सुषमा के स्नेहिल सृजन,नारी सशक्तिकरण
परिवर्तन का दौर है, स्वयं शक्ति पहचान।
चलना है अब दूर तक, पंथ बने आसान।।
नारी निर्भय हो सदा, जनता के दरबार।
राज प्रशासन दृढ़ हों, मिले हमें अधिकार।।
काम करो जग में यहाँ, रखना ऊँचा नाम।
निर्मल पावन मन रखें, साथ रहें भगवान।।
करो भरोसा आप ही, मिले सदा सम्मान।
आस लगाना व्यर्थ है, हित अनहित पहचान।।
दिया हमें जब ईश ने, नारी तन अनमोल।
नेक मार्ग चलना सदा, मधुर-मधुर हों बोल।।
नारी तू अबला नहीं, ले विवेक से काम।
करो भरोसा आप ही, चलना है अविराम।।
आदर से करना सभी, बात-बात को तोल।
मीठी वाणी बोल कर, मुख में मिश्री घोल।।
’सुषमा’ सुंदर जग बने, रखना पावन चाह।
कभी किसी को दर्द हो, चलो नहीं वह राह।।
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कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल,रायगढ़/रायपुर