गुण्डरदेही: स्कूल में वार्षिक उत्सव एक बहुत ही खास और रंगीन आयोजन होता है, जिसमें स्कूल के छात्र-छात्राएं, शिक्षक और अभिभावक एक साथ मिलकर विभिन्न सांस्कृतिक, शैक्षिक और खेलकूद गतिविधियों का आनंद लेते हैं। यह उत्सव विद्यालय के वर्षभर के प्रयासों और उपलब्धियों का उत्सव होता है। बालोद जिले के गुण्डरदेही नगर में कई सालों से संचालित JLM ENGLISH MEDIUM SCHOOL में बाल महोत्सव का आयोजन किया गया। स्कूल के छोटे छोटे बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिसमे नृत्य, गायन, और संगीत आदि प्रस्तुत किए गए. इस दौरान छात्रों को उनके शैक्षिक, सांस्कृतिक और खेलकूद में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार और प्रमाणपत्र दिए गए। बाल महोत्सव में मुख्य अथिति के रूप में देवतीर्थ साहू भिलाई, भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रमोद जैन, संचालक भावेश जैन उपस्थित रहे। बाल महोत्सव में फ़ूड स्टॉल लगाया गया था जिसमे अभिभावकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ फ़ास्ट फ़ूड का स्वाद भी चखा। कार्यक्रम का शुभारम्भ माता सरस्वती की पूजा अर्चना कर दीप प्रजव्वलन के साथ हुआ। बच्चों ने देश भक्ति गीत गाये. हिंदी ,पारम्परिक परिधानों में अपनी प्रस्तुति दी। मंच पर उपस्थित अथितियों ने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की। यह उत्सव छात्रों के लिए न केवल खुशी और आनंद का अवसर होता है, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने और सामाजिक कौशल को बेहतर बनाने का भी एक अवसर होता है।
कई वर्षों से संचालित यह निजी स्कूल में करीब हजारों की संख्यां में विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। आज स्कूल का वार्षिक उत्सव मनाया गया। स्कूल के द्वारा छात्रों के अभिभावकों को भी कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था. अभिभावक बड़े ही उत्साह से अपने बच्चों का कार्यक्रम देखने स्कूल पहुँचे लेकिन उन्हें वहां बैठने की जगह नहीं मिली। पहले आओ पहले पाओ के तर्ज पर कुर्सियों का इंतज़ाम किया गया था। लगातार 2 घंटे से अधिक चले इस कार्यक्रम में अभिभावकों को खड़े रहकर ही कार्यक्रम देखना पड़ा। इस अव्यवस्था पर पालकों में भारी आक्रोश देखा गया। एक अभिभावक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया की बच्चों से 500 रुपये लिए गए है, लेकिन उस हिसाब से अभिभावकों को वहां बैठने की जगह भी नहीं मिली। जिन्हे जगह मिली उन्हें वह के प्रबंधन द्वारा या कहकर उठा दिया गया की मुख्य अथिति के जाने की बाद आप लोग बैठ सकते हैं। जब इस अव्यवस्था को लेकर पालकों ने प्रबंधन से बात की तो उनके द्वारा दिए गए जवाब सुनकर आपको भी हंसी आ जाएगी। प्रबंधन के जिम्मेदार का कहना था कि फ़ूड स्टॉल लगा है,यदि सबके के लिए कुर्सी लगाते तो कोई भी स्टाल तक नहीं जाता यह सोचकर कुर्सी नहीं लगाई गई। बार बार बोलने पर कहा गया कि बैठने की व्यवस्था कर रहे है, लेकिन कार्यक्रम खत्म तो गया गया लेकिन बैठने की व्यवस्था आखिरी तक नहीं बन पाई। ये अभिभावकों के सम्मान पर कुठाराघात है. यह सिर्फ व्यक्ति विशेष के सम्मान की बात नहीं अपितु उस स्कूल में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों के अभिभावकों के सम्मान की बात है।