
करगीरोड ( बिलासपुर) : हाल ही में डॉ. सी. व्ही.रमन विश्वविद्यालय से एक सनसनी मामला सामने निकलकर आया है, जिसने न सिर्फ विश्वविद्यालय प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं बल्कि छात्रों के भविष्य के लिए भी गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं। विश्वविद्यालय में सन 2021 से प्रारंभ हुए ललित कला विभाग एवं रायगढ़ कथक केंद्र जहां पर पिछले वर्ष सत्र 2024 से बैचलर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट (BPA) का डिग्री कोर्स संचालित किया जा रहा है, हैरानी की बात यह कि डिग्री कोर्स प्रारंभ तो कर दिया गया, छात्रों का एडमिशन भी लिया गया किंतु अब तक एक भी छात्र का विधिवत रजिस्ट्रेशन विश्वविद्यालय ने नहीं किया है। सन 2021 से संचालित यह विभाग बिना किसी मूलभूत सुविधा के आज तक केवल दो कमरों में संचालित किया जा रहा है। जबकि यहां पर 4 छमाही सर्टिफिकेट कोर्स एवं तीन डिग्री कोर्स संचालित है। बात करें यदि छमाही सर्टिफिकेट कोर्स की तो इसका अर्धवार्षिक फीस लगभग 4 हजार से ऊपर है वहीं तीन वर्षीय डिग्री कोर्स का वार्षिक फीस (प्रति वर्ष) लगभग 12से 14 हजार रुपए बताया जा रहा है।

दो सेमेस्टर की परीक्षा पूर्ण, परिणाम भी घोषित किंतु मार्कशीट अप्राप्त
सूत्रों से प्राप्त जानकारी हैरान करने वाली है। अब तक BPA कोर्स के 02 सेमेस्टर पूरे हो चुके हैं जिसकी परीक्षा भी ली गई और परिणाम भी घोषित किया गया किंतु विश्वविद्यालय ने संबंधित किसी भी छात्र को एक भी सेमेस्टर का मार्कशीट जारी नहीं किया है। इससे भी अधिक और चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक किसी छात्र का विधिवत न तो रजिस्ट्रेशन हुआ और न ही विश्वविद्यालय के दाखिल पंजी में इन छात्रों का नाम है। यही कारण है कि छात्रों को अस्थायी रोल नंबर थमा कर परीक्षा लिया गया हैं साथ ही फीस की रसीद भी मैन्युअल तरीके से काटी गई हैं, जबकि विश्वविद्यालय के अन्य विभागों में फीस रसीद ऑनलाइन प्रणाली से ही जारी की जाती हैं।

छात्रों का दर्द कहा “हमारा भविष्य खतरे में”…….
कुछ छात्रों एवं उनके अभिभावकों ने नाम न छापने के शर्त पर हमारे संवाददाता को बताया कि उनके द्वारा सन 2023 में छमाही प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया गया और विश्वविद्यालय के नियमानुसार पूरी फीस भी जमा की गई है किंतुआज 2 वर्ष पूर्ण होने को है अभी तक उनकी परीक्षा लंबित है जिसके कारण उन्हें प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुआ है जिससे वे स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे है। वहीं BPA डिग्री कोर्स में 15 से 20 छात्र अध्ययनरत हैं।जिसमें से कुछ छात्रों का कहना है कि “उन्होंने जिस विषय में एडमिशन लिया है उस विषय के शिक्षक ही नहीं है जो थे उन्हें भी प्रबंधन ने अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया है। तब से लेकर अब तक न तो किसी विषय शिक्षक की व्यवस्था की गई और न ही क्लास संचालित की गई है। पुस्तकालय में संगीत की सीमित किताबें है और वह भी रजिस्ट्रेशन न होने व लाइब्रेरी कार्ड के अभाव में प्राप्त नहीं हो पा रहे है परीक्षा सिर पर है, ऐसी स्थिति में कैसे तैयारी करे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। विभाग में पर्याप्त और गुणवत्ता पूर्ण वाद्ययंत्र का आभाव है। साथ ही पूर्व के सेमेस्टर परीक्षा की मार्कशीट भी नहीं दी जा रही है।”
इस प्रकार छात्रों के इस कथन से स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय की यह विसंगतिपूर्ण प्रक्रिया अन्दर के संदेहास्पद गतिविधि की ओर इशारा कर रहा है। अगर यह सब सच है, तो यह बात छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ से कम नहीं।
यह कोई पहला मामला नही बल्कि विश्वविद्यालय का पैटर्न बनता जा रहा है……
यह पहला अवसर नहीं है जब डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय पर मार्कशीट रोकने के आरोप लगे हों। पूर्व में भी अलग–अलग विषयों के छात्रों ने कई–कई वर्षों तक मार्कशीट जारी न होने की शिकायतें दर्ज करवाई हैं।

कुछ महत्वपूर्ण सवाल…..
1. जब रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ तो छात्रों की पढ़ाई किस आधार पर मान्य होगी?
2. एक वर्ष पूरे होने के बाद भी मार्कशीट क्यों जारी नहीं की गई है?
3. फीस की रसीद मैन्युअल क्यों? क्या इसके पीछे क्या कोई गड़बड़ी छिपाई जा रही है?
4. विश्वविद्यालय प्रशासन जवाब देने से क्यों बच रहा है?
5. क्या उच्च शिक्षा विभाग इस मामले की जांच करेगा? क्योंकि यह अत्यंत गंभीर विषय है सरकार और उच्च शिक्षा विभाग को तत्काल इस मामले को संज्ञान में लेकर जांच करनी चाहिए। ताकि छात्रों का भविष्य न खराब हो।
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