
रायपुर: शिखर साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ द्वारा लोक कला और साहित्य पर केंद्रित संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय सम्मान समारोह का आयोजन 1 सितंबर को रायपुर के वृंदावन परिसर, सिविल लाइंस स्थित सभागार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बस्तर महाराज कमल चंद्र भंजदेव रहे, कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला पंचायत रायपुर के अध्यक्ष नवीन अग्रवाल ने की। पद्मश्री अनूप रंजन पांडे, पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर, शकुंतला सेन (अध्यक्ष जनपद पंचायत धरसींवा), दिनेश खूंटे, कविता चंद्राकर और चंद्रकला विशिष्ट अतिथि रहे। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम के आयोजक डॉ. मन्नू लाल चेलक ने अकादमी की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए स्वागत भाषण दिया। समारोह में प्रदेश सहित देश के अनेक ऐसे प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया जो साहित्य, संगीत, कला,एवं शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दे रहे है। राष्ट्रीय सम्मान की इस कड़ी में मस्तूरी पुरानी बस्ती निवासी पं. श्रीप्रकाश तिवारी “श्रीरंग” को संगीत एवं साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु शिखर कला रत्न सम्मान” से सम्मानित किया गया, साथ ही मल्हारगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार, इतिहासकार, डाकपाल राजेश पांडे को “शिखर साहित्य सम्मान” एवं प्रधान पाठक शेषनारायण गुप्ता को ‘छत्तीसगढ़ गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया गया। संचालन विजय कुमार – महासमुंद ने एवं आभार प्रदर्शन डॉ. मन्नू लाल चेलक ने किया।

साधना एवं समर्पण का नाम ही संगीत है:- श्रीरंग”
पं. श्रीप्रकाश तिवारी ” श्रीरंग” ने अपनी इस उपलब्धि के विषय में बतलाते हुए कहा कि बाल्यकाल से संगीत साहित्य में विशेष रुझान एवं पारिवारिक वातावरण संगीतमय होने के कारण न केवल मुझे संगीत साधना की ओर अग्रेषित किया बल्कि मेरा मार्ग भी प्रशस्त किया। संगीत से जुड़कर मैने अनुभव किया कि यह केवल मनोरंजन का नहीं बल्कि साधना और समर्पण का विषय है। संगीत ही एक मात्र ऐसा सरल और सुलभ साधन है जिससे मनुष्य ईश्वर से साक्षात्कार कर सकता है। साहित्य, संगीत और कला हर मनुष्य के अंदर विद्यमान है जो मनुष्य को प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर आनंद प्रदान करता है। पं. श्रीरंग ने आगे कहा कि इस सम्मान हेतु मै केवल माध्यम हूं वास्तविक में यह सम्मान विशेष रूप से मेरे पिताजी सेवानिवृत्त प्रधान पाठक पं. भवानी प्रसाद तिवारी, माता श्रीमती सुषमा तिवारी,अखिल भारती श्रीरामचरितमानस की प्रवक्ता बुआ सुश्री अनसुईया तिवारी, गुरूजनों सहित जन्मभूमि को सादर समर्पित है जिनका स्नेह, आशीर्वाद और मार्गदर्शन बाल्यकाल से ही मुझे प्राप्त होता रहा है।