
बिलासपुर. डॉ. सी.व्ही.रमन विश्वविद्यालय करगी रोड कोटा द्वारा आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में मस्तूरी के पं. श्रीप्रकाश तिवारी “श्रीरंग” को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है. 17 अक्टूबर को डॉ. सी .व्ही. रमन विश्वविद्यालय करगीरोड कोटा में द्वितीय दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ। इसमें मस्तूरी पुरानी बस्ती निवासी पं. श्रीप्रकाश तिवारी को स्नातकोत्तर (एम.ए.) संस्कृत साहित्य विषय पर प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल रामेन डेका की गरिमामयी उपस्थिति में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

ज्ञात हो सन 2016 में एशिया के प्रथम संगीत विश्वविद्यालय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में आयोजित चतुर्दश दीक्षांत समारोह में श्रीप्रकाश तिवारी को ऑल इंडिया प्रवीण्य सूची में तृतीय स्थान प्राप्त करने पर स्व. डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्मृति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जा चुका है। श्रीप्रकाश तिवारी सेवा निवृत्त प्रधानपाठक पं.भवानी प्रसाद – श्रीमती सुषमा तिवारी के सुपुत्र है। इन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता – पिता, गुरुजनों सहित धर्मपत्नी श्रीमती सूर्यबाला तिवारी को दिया है। वही श्रीप्रकाश को द्वितीय स्वर्ण पदक प्राप्त होने से परिवार एवं उनके शुभचिंतको में खुशी का माहौल है।
यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि मेरे अपनो का है:- “श्रीरंग”
पं. श्रीप्रकाश तिवारी “श्रीरंग” ने अपनी इस उपलब्धि पर कहा कि मेरी यह उपलब्धि मेरे माता पिता के मेहनत, त्याग, एवं समर्पण का प्रतिफल है। मेरे दादा जी स्व. वृन्दा प्रसाद तिवारी ” मुनुवा महराज” संगीत के उच्च कोटि के विद्वान थे, वही बुआ सुश्री अनसुईया तिवारी एवं पिता पं. श्री भवानी प्रसाद तिवारी अखिल भारतीय स्तर श्रीरामचरितमानस के प्रवाचक है। यही कारण है कि बाल्यकाल से ही घर का वातावरण संगीतमय, शास्त्रमय एवं पौराणिक रहा। जिससे प्रेरित होकर मैंने स्नातक की शिक्षा -दीक्षा इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से प्राप्त किया। जहां पर भारतीय शास्त्रीय गायन संगीत विषय में आल इंडिया स्तर पर प्रवीण्य सूची में तृतीय स्थान एवं हिंदी भाषा में सर्वोच्च अंक अर्जित करने पर मुझे सन 2016 में आयोजित चतुर्दश दीक्षांत समारोह में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों सर्वप्रथम स्व. डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्मृति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। वही इस बार डॉ. सी. व्ही.रमन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में द्वितीय स्वर्ण पदक प्राप्त होने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है। निश्चित ही मेरी यह सफलता मेरे परिवार जनों, गुरुजनों, जन्मभूमि मस्तूरी व नगरवासियों एवं मेरे शुभचिंतक जनों का है।

बाल्यकाल से अद्भुत प्रतिभा के धनी है पं. श्रीप्रकाश तिवारी:- राजेश पाण्डेय
पं. श्रीप्रकाश तिवारी “श्रीरंग” के विषय में मल्हार के वरिष्ठ साहित्यकार, समाजसेवी व डाकपाल पं. राजेश पाण्डेय ने बताते हुए कहा कि पं. “श्रीरंग” बाल्यकाल से ही अद्भुत प्रतिभा के धनी है। इनके द्वारा मात्र 03 वर्ष की अवस्था से ही हारमोनियम वादन कर गायन, राष्ट्रीय मंचों पर बड़े बड़े संस्कृत के आचार्यों एवं विद्वानों के समक्ष वेदों की ऋचाओं का पाठ कर अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय दिया जा चुका है। संगीत का उत्कृष्ट ज्ञान होने के साथ साथ संस्कृत भाषा में भी इनकी अच्छी पकड़ है। संस्कृत के क्लिष्ट मंत्रों का शुद्ध उच्चारण, वैदिक मंत्रों का स्वरबद्ध गायन हेतु अनेकानेक संत महापुरुषों का आशीर्वाद इन्हें प्राप्त हुआ है।
सन 2018 में उज्जैन में आयोजित राज्य स्तरीय महाकवि कालिदास समारोह में अभिज्ञानशकुंतलम नाटक का कुशल मंचन आपके शिष्यों द्वारा आपके ही निर्देशन में किया जा चुका है। जिस हेतु मध्यप्रदेश लोक शिक्षण संचनालय द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया । पं. श्रीप्रकाश तिवारी संगीत एवं संस्कृत के जानकार के साथ साथ मानस कथा प्रवाचक एवं भागवताचार्य भी है।
वर्तमान में श्रीरामकथा एवं श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा का रोचक दृष्टांत एवं संगीतमय प्रस्तुति के माध्यम से जनमानस को भक्ति, ज्ञान एवं सनातन परंपरा की ओर अग्रसर करने का प्रयास श्रीरंग के द्वारा किया जा रहा है। साथ ही साथ श्रीप्रकाश तिवारी का कोमल एवं मृदुल व्यवहार जनमानस के हृदय में इनके प्रति अगाध श्रद्धा एवं प्रेम को भी जागृत करती है।