
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने “समान कार्य समान वेतन” के सिद्धांत पर एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए राज्य सरकार को सभी लैब टेक्नीशियनों को ₹2800 का ग्रेड पे देने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय का कथन है कि यदि समान योग्यता, कार्य और दायित्व वाले कर्मचारियों को एक समान वेतन नहीं दिया जा रहा है तो यह प्राकृतिक न्याय और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। यह फैसला माननीय न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनाया। उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने याचिका दाखिल की थी,जिस पर अधिवक्ता दानिश सिद्दीकी ने प्रभावी बहस की। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि जब किसी भी कार्य की योग्यता और जिम्मेदारी समान हैं, तो वेतन में भेदभाव करना अनुचित और असंवैधानिक है।
याचिकाकर्ताओं से प्राप्त जानकारी अनुसार 2 मई 2014 को जारी भर्ती विज्ञापन में लैब टेक्नीशियन पदों के लिए ₹5200-20200 वेतनमान के साथ 2800 ग्रेड पे का स्पष्ट उल्लेख था। इसके बावजूद, नियुक्ति आदेश जारी करते समय ग्रेड पे घटाकर 2400 कर दिया गया, जो मनमाना और अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है। साथ ही सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 30 मार्च 2013 और 7 मई 2013 को जारी आदेशों में कुछ पदों को 2800 और कुछ को 2400 ग्रेड पे के साथ स्वीकृत किया था, जिससे एक ही पद के कर्मचारियों के बीच असमानता पैदा हुई। राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने भी माना कि प्रदेश के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में लैब टेक्नीशियनों को पहले से ₹2800 ग्रेड पे दिया जा रहा है। यह बात छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग अलीपिक वर्गीय तृतीय श्रेणी सेवा भर्ती नियम, 2015 25 सितंबर 2015 को राजपत्र में प्रकाशित के अनुसूची-1, क्रमांक 28 में भी दर्ज है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि एक ही पद के लिए दो अलग-अलग वेतन संरचना न केवल समझ से परे है बल्कि अनुचित हैं। अदालत ने माना कि जब 2015 के नियमों में लैब टेक्नीशियन का ग्रेड पे 2800 निर्धारित है, तो ₹2400 देना नियम विरुद्ध है।अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं का ग्रेड पे उनकी नियुक्ति तिथि से 2800 किया जाए और दो माह के भीतर समस्त बकाया राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित भुगतान की जाए। साथ ही भविष्य में वेतन निर्धारण भी इसी आधार पर करने का आदेश दिया है।
उच्च न्यायालय के फैसले ने किया “समान कार्य समान वेतन” के संवैधानिक सिद्धांत को सशक्त –
हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल लैब टेक्नीशियनों बल्कि सभी शासकीय निजी एवं अनुदान प्राप्त संस्था में कार्यरत कर्मचारियों एवं श्रमिकों के हित के लिए महत्वपूर्ण है। विशेष कर उन कर्मचारियों के लिए जो किसी भी संस्था में समान कार्य तो करते है, समान योग्यता भी रखते है के बावजूद उन्हें समान वेतन के लाभ से वंचित कर दिया जाता है। न्यायालय द्वारा सुनाया गया यह फैसला कर्मचारियों के लिए समान कार्य समान वेतन के संवैधानिक सिद्धांत को सशक्त करता है।






