
बिलासपुरः (श्रीप्रकाश तिवारी) सरकंडा पुलिस के द्वारा एक बड़े जमीन के घोटाले का पर्दाफाश किया है। आरोपी कूट रचना पूर्वक फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर एक बड़े प्लॉट को बेचने की तैयारी में थे वह इस काम को अंजाम दे पाते इससे पहले उनका भंडाफोड़ हो गया। इस मामले में एक दस्तावेज़ लेखक की संलिप्तता भी सामने आई है जिसे सरकंडा पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है। फिलहाल मुख्य आरोपी और उसके साथी पुलिस के गिरफ्त से बाहर हैं।प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रार्थी अरुण कुमार दुबे ने शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि सन् 1999 में उनके द्वारा एक जमीन खरीदी गई थी। कुछ दिनों पूर्व ही उन्हें पता चला कि उक्त संपत्ति के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर कोई उसे कब्जा करने के फिराक में है। जांच करने पर पता चला कि आरोपी सुरेश मिश्रा और उसके साथियों ने विक्रय विलेख में हेराफेरी कर मूल प्रति और छायाप्रति में भिन्न भिन्न खसरा नंबर दर्ज कर फर्जी दस्तावेज तैयार किया है साथ ही इसके आधार पर तहसील कार्यालय में आपत्ति भी दर्ज किया गया है ताकि असली मालिक को उसके अधिकार से वंचित किया जा सके। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक दस्तावेज़ लेखक को हिरासत में ले लिया है। वहीं मुख्य आरोपी सहित अन्य साथियों की तलाश जारी है। मुख्य आरोपी के पकड़ में आते ही पता चलेगा कि इस षड्यंत्र में केवल कुछ लोगों का ही हाथ है या फिर किसी बड़े गिरोह का जो जमीन खरीद-फरोख्त में सक्रिय रहकर सीधे साधे लोगो को अपना शिकार बनाते है।
जनता से अपील
हर वह व्यक्ति जो जमीन या मकान की खरीददारी करना चाहते है उन्हें खरीददारी करते वक्त निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए –
1. क्रेता यह जरूर पता करें कि जिस जमीन को क्रय किया जा रहा है उसके सभी दस्तावेज़ जिसमें मुख्य रूप से विक्रय करने वाले व्यक्ति का नाम, आधार, खसरा नंबर, डायवर्शन शीट क्रमांक, भूखंड क्रमांक, भू नक्शा, फॉर्म बी 1 एवं पी 2, उपलब्ध है या नहीं? साथ ही यह जरूर पता करें कि विक्रेता के पूर्व उक्त जमीन किसके नाम पर थी?
2. यदि जमीन आवासीय है तो उसके TNC व डायवर्शन के कागजात उपलब्ध है या नहीं?
3. यदि प्रापर्टी शहरी क्षेत्र में है तो वह निगम अथवा निकाय के जानकारी में है या नहीं? पता करे कि निगम या निकाय में जमा किए गए टैक्स की पावती उपलब्ध है या नहीं?
4. उक्त बिक्रीशुदा जमीन किसी बैंक या फिर व्यक्ति विशेष के पास बंधक तो नहीं है? यदि जमीन किसी भी बैंक में बंधक है या उक्त जमीन पर किसी भी प्रकार से ऋण बकाया है तो ऐसी स्थिति में जमीन का समस्त मूल दस्तावेज बैंक में जमा रहता है अतः जमीन के दस्तावेज की छायाप्रति पर बैंक के द्वारा सील साइन कर प्रमाणित किया गया है या नहीं? इसका ध्यान रखें।
6. जमीन सरकारी या फिर कोटवारी ( किसी कोटवार के नाम में ) तो नहीं है?

7. आज कल सरकार द्वारा जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बहुत से ऐसे ऐप और डिजिटल लिंक बनाए गए है जो समस्त ब्यौरा त्वरित रूप से ऑनलाइन प्रदान कर देता है। जैसे – भुइंया, सुगम, डायवर्शन इत्यादि। उक्त लिंक में जाकर दस्तावेज की कॉपी का मिलान करें।
8. साथ ही जमीन के मूल दस्तावेज का स्वयं अथवा संबंधित विषय में जानकार व्यक्ति अथवा अपने वकील के द्वारा सूक्ष्मता पूर्वक अवलोकन कर ही जमीन क्रय विक्रय करें। क्योंकि आपकी थोड़ी सी सावधानी आपको बड़े खतरे और धनहानि से बचा सकती है।
टीप:- उक्त जानकारी छत्तीसगढ़ राजस्व विभाग के मुख्य नियम के आधार पर दी जा रही है। भिन्न भिन्न राज्यों के नियम भिन्न हो सकते है अतः अपने राज्य के नियमानुसार राजस्व विभाग से संपर्क अवश्य करें।