
गुण्डरदेही: रूपचंद जैन: बालोद जिले के लिमोरा गांव में भारत का पहला 64 योगिनी मंदिर का भव्य निर्माण धीरे धीरे आकर ले रहा है। आइए जानते है इस मंदिर की विशेषताएं:
- ऐसा मंदिर जहां नहीं होगी दान पेटी
- * प्रसिद्ध नाड़ी वैद्य, समाजसेवी बिरेंद्र देशमुख कर रहे जन सहयोग से निर्माण
- जिले के गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम लिमोरा में भारत का पहला अद्वितीय और भव्य 64 योगिनी मंदिर आकार ले रहा है। ऐसा मंदिर जहां दान पेटी नहीं होगी। इस अनोखे धार्मिक स्थल का निर्माण समाजसेवी, नाड़ी वैद्य एवं मां 64 योगिनी मोक्षधाम फाउंडेशन के संस्थापक गुरुदेव वैद्यराज बिरेंद्र देशमुख के निर्देशन में पूर्णतः जन सहयोग से हो रहा है।
गुरुदेव देशमुख वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य, मानव सेवा और गरीब परिवारों के उत्थान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करते आ रहे हैं। गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करना, संकटग्रस्त परिवारों की मदद करना तथा समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना उनकी प्राथमिकता रही है। गुरुदेव देशमुख ने बताया कि 64 योगिनी मंदिर का निर्माण लगभग पिछले एक वर्ष से लगातार जारी है। उनका मानना है कि आने वाले डेढ़ से दो वर्षों में यह भव्य एवं विशाल मंदिर पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा। मंदिर निर्माण में छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर से लोग उत्साहपूर्वक सहयोग दे रहे हैं।
दान पेटी नहीं होगी – भक्ति बिना लेन-देन के
गुरुदेव ने स्पष्ट कहा—
“भगवान स्वयं कुबेर भंडारी हैं, उन्हें दान की आवश्यकता नहीं। जरूरत इंसान को है। श्रद्धालु यदि सेवा करना चाहते हैं, तो भोजन भंडारे में सहयोग कर सकते हैं।”
उन्होंने बताया कि यह देश का पहला ऐसा मंदिर होगा जिसमें दान पेटी नहीं रखी जाएगी, जिससे यहां केवल श्रद्धा, भक्ति और ध्यान का वातावरण कायम रहेगा।
64 गांवों से एक-एक योगिनी की मूर्ति*
मंदिर की सबसे खास विशेषता यह है कि इसमें 64 गांवों से एक-एक योगिनी की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
गुरुदेव ने बताया—
राजस्थान के अलवर में 64 योगिनियों की मूर्तियों का निर्माण तेजी से जारी है।
इनमें से 15 से 20 मूर्तियाँ तैयार हो चुकी हैं।
शेष मूर्तियाँ निर्माणाधीन हैं।
इसके साथ ही कंकालिन माता, कामधेनु, और शिवजी की मूर्तियाँ भी लिमोरा पहुँच चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि 64 गांवों के नाम से एक-एक योगिनी स्थापित होने से यह मंदिर लोक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनेगा।
64 योगिनी मंदिर के निर्माण के बाद ग्राम लिमोरा जिला बालोद का प्रमुख धार्मिक स्थल बनने की संभावना है। यह मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में आस्था का केंद्र बनेगा। स्थानीय ग्रामीणों में भी इस मंदिर निर्माण को लेकर उत्साह और गर्व की भावना देखने को मिल रही है।





