
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के डिवीजन बेंच ने चर्चित शराब घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर के इलाज संबंधित मामले में डीकेएस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल रायपुर के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी सर्जन डॉ. प्रवेश शुक्ला के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। साथ ही न्यायालय ने अपने फैसले में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डॉ. शुक्ला के खिलाफ की गयी कार्यवाही दुर्भावना पूर्ण है।
क्या है मामला………
डॉ प्रवेश शुक्ला द्वारा अपने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपील किया गया कि उनकी नियुक्ति सन 2023 में डीकेएस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल रायपुर में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में संविदा सर्जन के रूप हुई थी। 8 जून 2024 को छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले के अभियुक्त अनवर ढेबर को इलाज के लिए जेल से अस्पताल लाया गया जहां वयस्क कोलोनोस्कोपी उपकरण की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण उन्हें कोलोनोस्कोपी के लिए एम्स, या रायपुर के अन्य सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया। जिसके लिए 1 जुलाई 2024 को डॉ. शुक्ला के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। स्पष्टीकरण में डॉ. शुक्ला ने जवाब देते हुए कहा कि हॉस्पिटल में वयस्क कोलोनोस्कोपी मशीन उपलब्ध न होने एवं उपलब्ध मशीन अन्य एंडोस्कोपी से अलग होने के कारण अनवर ढेबर को अन्य अस्पताल में रेफर किया गया है के बावजूद 2024 को प्रशासन द्वारा उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई।
सूचना के अधिकार (RTI) से प्राप्त जानकारी पर हुआ खुलासा…….
सूचना के अधिकार (आरटीआई) से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीकेएस अस्पताल में 2022 से कोलोनोस्कोप उपकरण काम नहीं कर रहा था साथ ही जनवरी 2024 से 31 अगस्त 2024 तक अस्पताल में एक भी वयस्क कोलोनोस्कोपी जांच नहीं हुआ है। जिससे यह स्पष्ट हुआ है कि डॉ. शुक्ला ने नियमपूर्ण प्रक्रिया का पालन किया था।
उच्च न्यायालय ने सुनाया अहम फैसला……
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि “डॉ. शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत 26 मार्च 2025 को दर्ज एफआईआर में लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद एवं दुर्भावनापूर्ण है। उनके विरुद्ध ठोस अपराध सिद्ध न होने के आधार पर, एसीबी, ईओडब्ल्यू और पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश किया जाता है।