
100 EV Bus: रायपुर. प्रधानमंत्री ई-बस योजना के तहत नगर निगम को मिलने वाली 100 EV Bus चलने की प्रक्रिया में तेजी आ गई है. केंद्रीय आवासन एवं नगरीय प्रशासन मंत्रालय के संयुक्त सचिव रवि चौधरी पिछले सप्ताह रायपुर आए, उन्होंने टाटीबंध बिलासपुर रिंग रोड किनारे हीरापुर के पास स्थित ई-बस डिपो के लिए चिन्हित जमीन का निरीक्षण कर इसे योजना के लिए उपयुक्त बताया और बस डिपो के सिविल वर्क में तेजी के निर्देश दिये. इसी के साथ राजधानी में चलने वाली ई-बस के रुट और बस की टाइमिंग के साथ ही सरकारी दफ्तर के अलावा शैक्षणिक एवं कॉमर्शियल एरिया में इसकी पहुंच को लेकर विस्तृत सर्वे पर भी बात हुई.
बताया गया कि नगर निगम को मिलने वाली 100 EV Bus और शहर की 10 लाख की आबादी के चलते केंद्र ने रुट सर्वे के लिए भी एजेंसी तय कर दी है. इस एजेंसी को सर्वे का भुगतान निगम करेगा. इस रुट सर्वे को लेकर बताया गया कि शहर की एक बड़ी आबादी वाला वह कौन सा हिस्सा है, जहां से एक निश्चित समय पर नागरिकों की आवाजाही सबसे अधिक होती है. चूंकि शहर का दायरा घनी आबादी वाले इलाके के साथ ही आउटर तक बढ़ चुका है, इसलिए वहां तक बस की पहुंच को आसान बनाने के लिए भी सर्वे को अनिवार्य कर दिया गया है. निगम में इस योजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि EV Bus सप्लायर के साथ ही इसके संचालन के लिए अहमदाबाद की एजेंसी केंद्र ने तय कर दी है. इसके बाद राज्य शासन की ओर से संचालन एजेंसी को भुगतान के संबंध में दिये जाने वाले गारंटी पत्र पर चर्चा करने केंद्रीय अधिकारियों का यहां दौरा हुआ था.
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रिजर्व बैंक को देना होगा शपथ पत्र
राजधानी में EV Bus चलने से पहले इसे चलाने वाली एजेंसी को भुगतान की गारंटी राज्य शासन को लेनी होगी. इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को यह शपथ पत्र देना होगा कि किसी कारणवश निगम की ओर से ऑपरेटर को भुगतान में देरी हुई तो इसकी भरपाई राज्य शासन करेगा. इस कागजी कार्रवाई पर भी दिल्ली से आये अधिकारियों ने राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग के आला अफसरों से विस्तृत चर्चा कर ली. 62 रुपये प्रति किमी का है शुल्क- राजधानी में चलने वाली इलेट्रिरक बस के लिए ऑपरेटर को प्रति किमी 62 रुपये के हिसाब से भुगतान निगम को करना होगा. अधिकारियों ने कहा कि निगम की सीमा अभी टाटीबंध के आगे कुम्हारी पुल से लेकर जोरा-लाभांडी तक पहुंच चुकी है. वहीं बिलासपुर रोड में भनपुरी, आमा सिवनी और देवपुरी से सेजबहार तक दायरा बढ़ चुका है. बस ऑपरेटर एजेंसी को इसी हिसाब से प्रति किमी का भुगतान करना होगा. इसीलिए बस में सवारियों की कमी को पूरा करने रुट सर्वे जरूरी हो चुका है.