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रायपुर:अयोध्या धाम में रामलला के दर्शन करने आस्था स्पेशल ट्रेन हुई रवाना , सीएम विष्णुदेव साय ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

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रायपुर: आज बसंत पंचमी का दिन है सरस्वती पूजन का दिन है। आज इसी दिन 14 फरवरी 1889 को पहली बार रायपुर से बिलासपुर पैसेंजर ट्रेन रवाना हुई थी। आज इसी बसंत पंचमी के दिन रामभक्त अयोध्या के लिए रवाना हुए हैं। यह शुभ संयोग है। आज 1344 रामभक्त अयोध्या के लिए रवाना हुए हैं। वे भगवान श्रीराम का दर्शन करने जा रहे हैं। यह बहुत सौभाग्य की बात है। यह बात मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रामभक्तों को अयोध्या धाम के लिए आस्था ट्रेन से विदा करते वक्त अपनी बात साझा की। उन्होंने कहा कि हम कामना करते हैं कि रामभक्त रामलला का आशीर्वाद लेकर लौटें और छत्तीसगढ़ की खुशहाली का आशीर्वाद रामलला से लेकर लौटें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम विधानसभा के बाद मार्च महीने में पूरे मंत्रिमंडल के साथ रामलला के दर्शन करने अयोध्या जाएंगे।

रायपुर रेलवे स्टेशन पर जैसे ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अयोध्या धाम की ओर जाने वाली आस्था ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। पूरा वातावरण जय श्रीराम के जयकार से गूंज गया। यह गूंज तब तक उठती रही जब तक कि ट्रेन की अंतिम बोगी विदा न हो गई। 1344 रामभक्त इस ट्रेन के माध्यम से अयोध्या धाम में राम लला के दर्शन के लिए रवाना हुए। मुख्यमंत्री ने उन्हें विदा किया। लोग इतने उत्साह में थे कि इसे शब्दों में बयान करना उनके लिए कठिन था। उन्होंने कहा कि अयोध्या धाम में भव्य मंदिर निर्माण हम सबका सपना था। मोदी जी ने इसे पूरा किया। साथ ही हम सबका सपना था कि रामलला के दर्शन अयोध्या धाम में करें, यह मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सार्थक कर दिया।

श्रीराम हमारे भांजे, इसलिए उनसे स्नेह भी वात्सल्य भी

तिल्दा नेवरा से अयोध्या धाम जा रहे यात्री श्री भागवत निर्मलकर ने कहा कि हम लोग माता कौशल्या के धाम से अयोध्या धाम जा रहे हैं। रामलला तो हमारे भांजे हैं इसलिए उनके प्रति वात्सल्य भाव भी हम लोगों में हैं। आस्था और भक्ति के साथ भांजे होने की वजह से रामलला पर वात्सल्य का भाव भी हमारे भीतर हैं। रसेली से आई श्रीमती चंद्रिका देवी ने कहा कि छत्तीसगढ़ तो रामलला का मामा गांव है। मामा में दो बार माँ शब्द का उपयोग होता है तो कितना प्रेम और स्नेह हम लोग अपने भांजे पर करते हैं इसे हम बता नहीं सकते। हम बस इतना कह सकते हैं कि हमारे लिए अपने भांचा राम का दर्शन ही हमारे जीवन का सबसे बड़ा पुण्य है। लोगों ने कहा कि जब रामलला आये तो ऐसा लगा कि भारत की आत्मा उसको मिल गई। हमारे रामलला की जब प्राणप्रतिष्ठा हुई तो यह हमारे लिए अद्भुत क्षण था। उस समय ऐसा लग रहा था कि जितनी जल्दी हो जाए, अपने श्रीराम के दर्शन करें। यह मौका इतनी जल्दी आ जाएगा, यह सोचा न था। यह हमारे लिए सपने के सच होने के जैसा है कि हम इस तरह से आस्था ट्रेन में सवारी कर अयोध्या धाम पहुँचेंगे और भव्य श्रीरामलला के मंदिर के दर्शन करेंगे।

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