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क्या रायपुर के दबंगों के घर चलेगा बुलडोज़र??? अशोका बिरयानी में कर्मचारियों की मौत: मृतकों के परिजनों के साथ धरने पर बैठे BJP विधायक मोतीलाल साहू

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राजधानी रायपुर के लाभंडी स्थित अशोका बिरयानी रेस्टोरेंट के गटर टैंक की सफाई के लिए उतरे दो कर्मचारियों की मौत को 38 बीत चुके है लेकिन रेस्टोरेंट प्रबंधक तक पुलिस अब तक नहीं पहुंच पाई है. मृतकों के परिजन और समाज के लोग न्याय की मांग करते हुए दोनों कर्मचारियों के शवों को रेस्टोरेंट के बाहर रखकर धरना प्रदर्शन कर रहे है. इस बीच मौके पर उनका समर्थन करने पहुंचे बीजेपी विधायक मोतीलाल साहू भी मृतकों के परिजनों के साथ धरने पर बैठ गए है. उन्होंने पुलिस को दो टूक कहा है कि ”जब तक प्रबंधक गिरफ़्तार नहीं होगा और मुआवजा नहीं मिलेगा, मैं यही पर बैठे रहूंगा.” विधायक मोतीलाल साहू ने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की और कहा- पुलिस का कहना है कि प्रबंधक का फ़ोन बंद है इससे बड़ा और क्या दुर्भाग्य हो सकता है. अब तक तो पूरे परिसर में बुल्डोजर चल जानी थी. उन्होंने कहा कि जितने भी शहर में अशोका बिरियानी नाम से इनके ब्रांच चल रहे है उसको तत्काल सील किया जाए. मैं जब तक यहां से नहीं उठूंगा तब तक प्रबंधक को गिरफ़्तार नहीं किया जाता औऱ पीड़ितों को मुआवज़ा नहीं मिल जाता.

जानकारी के अनुसार गुरुवार 18 अप्रैल को लाभंडी स्थित अशोका बिरयानी रेस्टोरेंट के गटर टैंक की सफाई के लिए दो युवक गटर में उतरे हुए थे. काफी देर से दोनों कर्मचारी गटर में ही थे, इसके बाद अशोका बिरयानी के दूसरे कर्मचारी ने उन्हें आवाज दी, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया. काफी देर होने के बाद उन्होंने पुलिस को घटना की जानकारी दी. घटना की सूचना मिलने पर तेलीबांधा थाना पुलिस घटना स्थल पर मौके पर पहुंची. दोनों को निकालने का कोशिश की गई, लेकिन संभव नहीं हो पाया. काफी देर बाद किसी तरह दोनों के शवों को बाहर निकाला गया. दोनों को बाहर निकलने बाद एक निजी अस्पताल में लाया गया. जांच के बाद डॉक्टर्स ने दोनों मजदूरों को मृत घोषित कर दिया.

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिना किसी सुरक्षा उपकरण के कैसे कोई इतनी बड़ी लापरवाही कर सकता है। दो जवान युवकों की मौत का जिम्मेदार कौन? होटल के कर्मचारी और पत्रकारों के बीच मुद्दा भी गरम है। मीडिया के साथ बदसलूकी करने वालों को एसडीएम कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है, लेकिन अब तक इस दर्दनाक हादसे का जिम्मेदार अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। इस प्रकार की लापरवाही करने वाले संस्थानों पर तुरंत कार्यवाही कर बंद किया जाना चाहिए। अब सभी बुद्धिजीवियों को यह सोचना होगा कि आखिर इस प्रकार की घटना बार बार क्यों होती है।

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